रविवार, 19 जुलाई 2015

मस्तिष्क को शुद्ध करती है संस्कृत

विश्व संस्कृत सम्मेलन में थाईलैंड पहुंची भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संस्कृत को आधुनिक और सार्वभौमिक भाषा करार देते हुए कहा कि - 'संस्कृत को बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह लोगों के मस्तिष्क को शुद्ध करती है और पूरे विश्व को पवित्र करती है।' 

बैंकॉक में रविवार ( 28 जून, 2015 ई. ) से शुरू हुए 60 देशों के 600 से ज्यादा संस्कृत विद्वानों के पांच दिवसीय 16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि रहीं सुषमा स्वराज ने अपना पूरा सम्बोधन संस्कृत में दिया। उन्होंने विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव ( संस्कृत ) का एक पद बनाने का ऐलान भी किया है। 

विश्व संस्कृत सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि सुषमा स्वराज ने भारत के विद्वानों से मुलाकात भी की और कहा कि - 'आईसीसीआर ने अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मान देने का फैसला किया है, जिसके तहत संस्कृत में उल्लेखनीय योगदान करने वाले विद्वानों को 20,000 डॉलर का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा।' इस दौरान सुषमा ने यह भी ऐलान किया किया कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव ( संस्कृत ) का पद तैयार किया गया है। गौरतलब है कि 16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन 2015 ( 28 जून से 2 जुलाई, 2015 ) का आयोजन इस बार थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुआ था।

रविवार, 5 जुलाई 2015

गायत्री मंत्र:


ओ३म् भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।


ओ३म् - सर्वरक्षक परमात्मा
भू: - प्राणों से प्रिय
र्भुवः - दु:ख विनाशक
स्व: - सुख स्वरूप है
तत् - उस
सवितु - प्रेरक
र्वरेण्यं - वरने योग्य
भर्गो - विशुद्ध ज्ञान स्वरूप
देवस्य - देव का
धीमहि - हम ध्यान करें
धियो - बुद्धियों को
यो - जो
न: - हमारी
प्रचोदयात् - शुभ कार्यों से प्रेरित करें

श्लोकार्थ:-

हम उस प्राण स्वरूप दु:ख विनाशक सुख स्वरूप श्रेष्ठ तेजस्वी और प्रेरक देव स्वरूप परमात्मा को अन्तरात्मा में धारण करें और वह हमारी बुद्धि की शुभ कार्यों में लगाएँ।